देश है जिनके हवाले भूखे औ प्यासे मिले।
गज़ल
2122……2122……2122……212
शीत गर्मी और बारिश के सदा मारे मिले।
देश है जिनके हवाले भूखे औ प्यासे मिले।
अन्नदाता नाम जिनका देश की जो शान हैं,
देश में ही वो बेचारे ठोकरें खाते मिले।
वस्त्र धारण श्वेत करते काम काले कर रहे,
दुश्मनों से उनके गहरे रिश्ते औ नाते मिले।
देते रहते हैं नसीहत पेड़ लगवाने की जो,
रात अँधियारी में वो ही पेड़ कटवाते मिले।
प्रेमी बनकर प्यार औ सदभाव की बातें करें,
असलियत में लोग वो नफरत ही फैलाते मिले।
…….?️प्रेमी