–देश हमारा हम ताक़त–
हुनर का कोई जहां में,सानी नहीं होता।
मिसाल बन जाए वैसा,ज्ञानी नहीं होता।।
सोना-चाँदी भेंट करे,करके जो गुणगान।
वो एकलव्य जैसा मगर,दानी नहीं होता।।
दिल की पीर को यहाँ बस,दीवाने जानते।
जो रखते हैं जिद्द यहाँ,वही लक्ष्य ठानते।।
जोहरी परखता हीरा,एक तेज़ नज़र में,
बाकी सभी जिसको एक,पत्थर हैंं मानते।।
करदें काम कुछ लोग तो,खुदी सयाने बनें।
न कर पाएं तो भाग्य के,सुनो बहाने बनें।।
दोहरी चाल चलते हैं,कितने अद्भुत लोग।
न जिनके सिर-पैर दिखें,न ही ठिकाने बनें।।
कुर्सी के पीछे पागल,वतन से गद्दारी।
जनता नाचे बंदर-सी,वो बनते मदारी।।
एक थैली के लगे हैं,सभी चट्टे-बट्टे।
पार्टी हो चाहे सबकी,अरे न्यारी-न्यारी।।
सोचो सभी सुधार करो,हो जाओ तुम सजग।
निजहित के लिए न बेचो,वोट होता है नग।।
देश हमारा हम ताक़त,बहको नहीं जानो,
बहुत लुट चुके हैंं अब तक,संभलो तुम पग-पग।
राधेयश्याम बंगालिया “प्रीतम”
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