देश भरा है जयचंदो से
कर्मयोग करते जो मन से,कंचन बन जाते हैं तपकर।
कंटक हों राहों में कितने, करें सामना वो नित डटकर।।१
सीमाओं की करें सुरक्षा,जान छिड़कते हैं पल -पल वो,
अमर स्वत: ही हो जाते हैं,प्राण देश पर कर नौछावर।२
देश भरा है जयचंदो से, कैसे हम उनको पहचानें,
बात -बात में करें छलावा,दिखते हैं दुनिया के रहबर।३
राष्ट्र धर्म का लगा मुखौटा, गली-गली जो ढोल पीटते ,
ऐसे धोखेबाजों से तुम,रहना यारों संभल संभलकर।।४
भूख तड़फती है झोंपड़ में,पाने को रोटी का टुकड़ा,
धन दौलत पर मार कुंडली ,बैठे हैं दो मुंह के विषधर।।५
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अटल मुरादाबादी