देश भक्ति ग़ज़ल
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ये खून खराबा अब स्वीकार नहीं होगा
गर वार किया तुमने इंकार नहीं होगा
ये बंद करो नाटक जो खेल रहे हो तुम
आतंक तुम्हारा ये स्वीकार नहीं होगा
वो वार करेंगे हम ये पाक ज़रा सुन ले
देखा कभी तूने ऐसी मार नहीं होगा
जब जान गवाई है इस देश पे वीरों ने
बलिदान शहीदों का बेकार नहीं होगा
अब बात नहीं करना तुम पाक लड़ाई की
गर वार किया हमने अवतार नहीं होगा
धोखे से छला तुमने सोये हुए शेरों को
इक बार हुआ जो भी हर बार नहीं होगा
तुम एक को मारोगे हम चार गिरायेगें
हम लाश बिछा देंगे, संसार नहीं होगा
तुम प्यार से गर मांगो हम खीर तुम्हें देंगे
कश्मीर अगर मांगो स्वीकार नहीं होगा
बी0 आर0 महंत