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15 Oct 2016 · 1 min read

देश भक्ति अब दिलों में झिलमिलाना चाहिए।

गीतिका
देश में दीपक स्वदेशी जगमगाना चाहिए।
लोभ से बचकर हमें यह पद उठाना चाहिए।

और कितना सोए’गी आत्मा तुम्हारी रात भर।
देश के लोगो तुम्हें अब जाग जाना चाहिए।

फौज की ताकत बढाता चीन हमको लूटकर।
त्यागकर उत्पाद उसके फन दबाना चाहिए।

घिर रही आतंक की काली घटा जब बाहरी।
बंद हमको जंग भीतर की कराना चाहिए।

रोटियां निज सेंकते हैं ये सभी नेता यहाँ।
अब हमें ही कुछ नया करतब दिखाना चाहिए।

क्या रखा मतभेद में बस शांति सुख खोता सदा।
हर परिस्थिति में हमें अब सँग निभाना चाहिए।

गूंजती हैं रोज कानों में नयी नित धमकियाँ।
सुन इन्हें अब तो लहू में जोश आना चाहिए।

घोंटते अपमान से जो भी गला निज देश का।
डूब मर लें या इन्हें सिर खुद कटाना चाहिए।

सोच क्यों अब तंज ‘इषुप्रिय’ नागरिक की हो रही।
सोच में तो भक्ति देशी झिलमिलाना चाहिए।
अंकित शर्मा ‘इषुप्रिय’
रामपुर कलाँ, सबलगढ(म.प्र.)

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