देश-प्रेम
हम अपने देश के लोगों में विश्वास जगाएँगे।
प्रेम, दया, समता, करुणा का पाठ पढ़ाएँगे॥
जिन गलियों में वर्षों से छाया घनघोर अँधेरा
जिन लोगों ने कटुता बस, मानवता को झकझोरा
उन गलियों में जाकर प्रेम का दीप जलाएँगे।……
नानक, बुद्ध, गांधी ने प्रेम की राह बताई
हिन्द ही नहीं वृहत्तर भारत, सबके मन को भाई
दिक्भ्रमित लोगों को प्रेम की राह बताएँगे॥……
नीति-रीति, परिपाटी यहाँ की जग से न्यारी
हिन्दू-मुस्लिम, सिख-ईसाई सबको जननी प्यारी
अक्षुण्य हिंदोस्ताँ को हम, सुदृढ़ बनाएँगे।……
जहाँ देश हित लोगों ने मर-मिटना हो सीखा
नज़रों में आज़ादी के सिवा कुछ नहीं दीखा
दुष्प्राप्य आज़ादी को, सुखमय बनाएँगे॥…..
देश की रक्षा की खातिर, वीरों ने प्राण गँवाए
वीरों का तो कार्य था, कायर न रण भाए
सर्वोपरि है देश-प्रेम , यह रीति चलाएँगे॥…….
प्रेम – दया – समता – करुणा का पाठ पढ़ाएँगे।
हम अपने देश के लोगों में विश्वास जगाएँगे॥
रचनाकार- अनिल पँचोली
स्नात्कोत्तर शिक्षक (हिंदी)