देश प्रेम पर कविता
सूरज की किरणों से प्रज्वलित हो जाता,
भारत का देश प्रेम, सदा हृदय में समाता।
धरती की गोद में खिलती है वीर भूमि,
हर क्षण में उमंग, गर्व का आनंद गूंजता है।
वीरों की धरा, वीर शहीदों का आश्रय,
बलिदानी रक्त से सजा यह देश का वास्त्र है।
विभाजित होती रही यह देश की ताकत,
महान स्वतंत्रता संग्राम से मिली स्वाधीनता।
पंथ निरपेक्षता का झंडा लहराता है,
भारत की विविधता में विश्वास का आलोक छाता है।
संघर्षों से यात्रा करती है हमारी प्रगति,
आत्मनिर्भर भारत का सपना, हम सब का संकल्प।
रंग बिरंगे संस्कृति की अनूठी परिचय,
देश प्रेम ने बांधी है बहुभाषी एकता की परिचय।
हर क्षण में महकती है इस धरा की मिट्टी,
भारत माता के देश प्रेम में अद्वितीय उमंग बसती है।
यहाँ जीने का तात्पर्य है सर्वदा सेवा करना,
भारत के देश प्रेम को हम सबको यह सिखाना।
उच्चतम भावना से जीना है इस धरती पर,
भारत के देश प्रेम को बढ़ाना है हमेशा।
संगठित हो जाए सभी का दिल,
देश प्रेम का गान बजे राह बन जाए मिल।
भारत के देश प्रेम की सुरमयी और तालमयी गाथा,
हर घड़ी दिल में बसे, हम सबका नारा साथा।