देश के वीर सपूत
देश के वीर सपूत
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मेरे वतन के शूरवीरो तुम,
सदा ही मान रखना।
चमकना चांद बनकर–
वीर सपूत हो तुम,शेर सी गर्जना करना
कि!थर्रा जाए दुश्मन भी,
तुम्हारी एक गोली की आवाज से।
जो देश का अहित करे—
उनको सबक सिखाना,
अपनें बुलंद होंसलों से।।
करते हो देश की रक्षा,
अपना सब अर्पित करके।
पहली मां है मातृभूमि–
देते हो पहरा सरहद पर,
अपनी जान न्योछावर करते।।
परवाह नहीं अपनी कोई,
पहले आता देश है।
खुश हो करते सेवा—
दुर्गमता का बेहद कांटों का पथ,
आघात सहे क ई तुमने हैं।
जो डरे नहीं, जख्मी की पीड़ा का
जिनको भान नहीं।
बढ़ते गए कदम सदा—
दुश्मन के ठिकानों पर,
कर्तव्य निष्ठा ही फर्ज है
इनको अपनी परवाह नहीं।।
वीरों को कभी कोई रोक सकता नहीं।
देश की रक्षा को—
जो कभी मरने से ना डरता हो,
दुश्मन भी थर्रा जाता उसके होंसले से।।
सुषमा सिंह *उर्मि,,