*देश के लिए ही जिऊं* (घनाक्षरी छंद)
देश के लिए ही जिऊं,देश के लिए ही मरूं।
करूं करूं काम ऐसा, आप भी आइए।।
जननी यह सबकी,अनादिकाल तब की।
गुणगान मेरे संग,आप भी गाइए।।
धर्म मानवता का है,हम सबको सिखाता।
नारा मानवता का तो,आप भी लगाइए।।
देश से बड़ा न कोई,करो काम ऐसा कोई।
अनुनय इतिहास,आप भी बनाइए।।
राजेश व्यास अनुनय