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27 Nov 2024 · 1 min read

देश की मौत ! (ग़ज़ल)

देश में अब टूटने का दौर दिखने लग गया,
इसलिए शाइ’र, बचाने देश, लिखने लग गया।

अब तलक बिकते थे नेता और अधिकारी, मगर–
बोलता था जो ग़लत पर, वो भी बिकने लग गया।

जिसे अब तक सिर्फ़ अपने देश से था प्यार, वो –
देश की अलैहिदगी का स्वाद चखने लग गया ।

जिसको अजदादों ने नेमत से नवाज़ा था बड़े,
वो हमारा गुलिस्ताँ हाय! बिखरने लग गया ।।

मर रहा था अब तलक इंसान, लेकिन अब यहाँ—
दिख रहा है साफ़, अपना देश मरने लग गया ।।

— सूर्या

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