नया वर्ष नया हर्ष,खुशहाली का उत्कर्ष,
नया वर्ष नया हर्ष, खुशहाली का उत्कर्ष,
सम कर्ष सम दर्श, नव गीत गाइये।
रोग शोक बीते अब,नोंकझोक कीजे जब,
रीझ रीझ खीर सब, पति को खिलाइए।
प्रेम क्षेम देख देख,अतिथि सत्कार देख,
घर वर देश देख, कन्या को बुलाइए।
सनातनी देश वेष,पुरातनी वाणी भेष,
सनातन संस्कृति का,ज्ञान खूब पाइए।
डा.प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम