देशप्रेम
कहाँ गया वो देशप्रेम
“जब सरफरोशी की तमन्ना
अब हमारे दिल में है”
हर युवक बोलता था ।
जब लहूलूहान होने पर भी
वीरों की देह
सिर्फ बोलती थी
वन्देमातरम
चाहे सिर कट जाऐ या
शरीर गोलियों से छन जाऐ
एक एक वीर
सैकड़ों दुश्मन को
मार कर कहता था
“खुश रहना देशवासियों
अब हम तो सफर करते है ।”
आज लड़ते हैं हम
क्षेत्रवाद पर
धर्म जाति भाषा के नाम पर
आरक्षण के नाम पर
देश के अंदर के दुश्मनों को
भी पहचानो मेरे दोस्त
देशप्रेम की अमृतधारा में
एकता , राष्ट्रवाद की
पहन माला
आतंकवाद ,नक्सलवाद की
चुनौतियों का कर सामना
दुश्मन को दिखाए
उसकी औकात का आईना
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल