देव दीपावली कार्तिक पूर्णिमा
घनी काली रात अमावस अंतस की
जप तप से परम प्रकाश है पाया
हुआ उज्जवल मन आलोकित
माटी का नन्हा दीया जलाया
दूर हुआ अज्ञान अंधेरा
नव प्रकाश ले आया
भर दिया उत्साह उमंग
उज्जवल मन आलोकित
देव जागरण हुआ हृदय में
जनजीवन उल्लासित
रोम रोम खिल उठा निसर्ग
वनस्पति पादप लता पताएं
पशु पक्षी उज्वल सृष्टि
जीवन गीत गुंजाएं
अमृत प्रकाश पूर्णमासी का
देव दिवाली मनाएं
प्रेम चिरंतन सत्य अमृत
आशा विश्वास जगाएं
ज्योर्तिमय नदी स्नान पूर्णिमा
निराशा आलस्य प्रमाद भगाएं
नवजीवन नवलय नवगति
नव विश्वास जगाएं
सुरेश कुमार चतुर्वेदी