देवी वन्दना
——————————————————————-
हे देवी, पृथ्वी के हर कण में तुम मातृ-रूप में हो स्थित।
हम पुत्र-रूप में तुम्हें नमन कर, होते धन्य सदा ही रहें।।
हे देवी, तेरा पूजन-अर्जन, साध्य हमारा दे जाए हमको।
हे देवी, तेरे साधक हम सब सदा सर्वदा ऐसे ही बने रहें।।
हे देवी,हम तेरे शरणागत शरण प्रदान कर रक्षित कर दे।
तेरे कृपा की हर छाया में अपना यह जीवन ले बने रहें।।
फैला चतुर्दिक राक्षसी-वृत्तियाँ और अमंगलकारी कृत्तियाँ।
माते,कोई भाव न ऐसा आने दे मन चरणों में ही लगे रहें।।
हे सुखदायिनी देवी माँ, हर दु:ख शमित करते जाना नित।
बस निशि-दिन तुम्हारे दर पर माता हम हर पल बने रहें।।
माँ तुम्हें नमन तेरे हर रूप,प्रकृति,आकृति को सदा नमन।
माँ तुम्हें बुद्धि-शक्ति-शान्ति रूप में सदा नमन करते रहें।।
तुम्हारी स्तुति करते हुए रोमांचित होना तेरी उपस्थिती है।
तुम्हारे अस्तित्व का यह अहसास माँ ताजीवन किया करें। ।
सारे सौभाग्य को देनेवाली हे माँ, मैं विमूढ़ हूँ क्या मांगू।
देना तो माँ रूप,यश,विजय और सौंदर्य,शौर्य मेरा वरण करें।।
पूजा-पाठ न जानूँ माई ना आवाह्न,विदा या कि विनती ही।
क्षमा सारी त्रुटियों को करना ताकि क्लेशहीन मन किया करें।।
——————————————————————–