देख करके फूल उनको
गीत….
देख करके फूल उनको मुस्कराने लग गये।
यूँ लगा जैसे सुबह हम गुनगुनाने लग गये।।
लालिमा छूने लगी जब हाथ अपने पंखुड़ी।
एक तितली पंखुड़ी पर बैठ करके यूँ उड़ी।।
भृंगदल मदमस्त होकर रस चुराने लग गये।
यूँ लगा जैसे सुबह हम गुनगुनाने लग गये।।
गा रही थी पक्षियाँ भी गीत इस उम्मीद में।
देख लेंगी चाँद को फिर से सुनहरे नींद में।।
धुंध कुहरे का घना मारुत हटाने लग गये।
यूँ लगा जैसे सुबह हम गुनगुनाने लग गये।।
कह दिया मन ने हमारे है कोई शायद परी।
खुशबुओं से पूर्ण भावों से सुनहरी है भरी।।
स्वप्न वो हैं पास आँखों में सजाने लग गये।
यूँ लगा जैसे सुबह हम गुनगुनाने लग गये।।
मिल गया संदेश नयनों से हमारे प्यार का।
कह नहीं सकते महत्ता गुनगुने बौछार का।।
प्रेमरस में डुबकिया मानो लगाने लग गये।
यूँ लगा जैसे सुबह हम गुनगुनाने लग गये।।
देख करके फूल उनको मुस्कराने लग गये।
यूँ लगा जैसे सुबह हम गुनगुनाने लग गये।।
डाॅ. राजेन्द्र सिंह ‘राही’
(बस्ती उ. प्र.)