*देखो मन में हलचल लेकर*
देखो मन में हलचल लेकर
देखो मन में हलचल लेकर,
प्यारे तुम घर मत आना।
स्याह पड़ी सूरत पर अपनी,
प्रभाकर लालिमा बिखराना।
सूर्य की चटक किरणों संग,
आलय को रोशन करना तुम।
बाहर क्यारी में ,
कुछ फूल खिले हैं।
मुट्ठी भर पंखुड़ियों की रंगत,
सौम्य खनन पर बिखराना।
मतवाली कोयल की
कुहू की मिष्टी
शब्दों में पिरो लेना ।
देखो मन में हलचल लेकर,
प्यारे तुम घर मत आना।।
बच्चों की नटखट टोली से,
थोड़ा बचपन लेते आना।
पायदान पर पग रखना पर,
कर्कशता का बिछौना
बना देना ।
माटी की खुशबू से,
सोंधेपन का
आलिंगन तुम करते आना।
व्याप्त जगत की पीड़ा को तुम,
चौखट पर ही रख देना।
देखो मन में हलचल लेकर,
प्यारे तुम घर मत आना।।
देखो मन में हलचल लेकर,
प्यारे तुम घर मत आना।
डॉ प्रिया।
अयोध्या।