देखो! पप्पू पास हो गया
देखो! पप्पू पास हो गया।
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घर बाहर अब खास हो गया।
देखो! पप्पू पास हो गया।
मम्मी पापा को वह भुला।
चला ब्याहन बना वो दूल्हा।
सास ससुर का दास हो गया।
देखो! पप्पू पास हो गया।
ब्याह रचा पत्नी को लाया।
पाव दबा वह प्रेम निभाया।
बीवी का अब खास हो गया।
देखो! पप्पू पास हो गया।
आज तनिक माँ नहीं सुहाती।
बिना निमंत्रण बनी बाराती।
नीर रहित आकाश हो गया।
देखो! पप्पू पास हो गया।
देख पिता लगते है भारी।
जिसने झेली विपदा सारी।
घर में ही वनवास हो गया।
देखो! पप्पू पास हो गया।
नखरे पत्नी की सहता है।
भला बुरा माँ को कहता है।
बेटा अब खरमास हो गया।
देखो! पप्पू पास हो गया।
कहे सास को मम्मी प्यारी।
मात पिता अब लगें बिमारी।
कीचड़युक्त बरसात हो गया।
देखो! पप्पू पास हो गया।
✍🏻पं.संजीव शुक्ल ‘सचिन’
#घोषणा:- यह रचना पूर्णतः स्वयं रचित है , अप्रकाशित है ,
【पं.संजीव शुक्ल ‘सचिन’】