देखो खो ना जाना
ख्वाबों के शहर में
देखो खो ना जाना,
गांव में है इक बूढ़ी माँ
उसको भूल मत जाना,
सपनों की इस दुनिया में,
तुम भी हो किसी का सपना,
यह मत तुम भूलाना,
देखो खो ना जाना,
शहर की मृगतृष्णा में फंस कर,
अपना यथार्थ ना तुम भूलाना
देखो खो ना जाना,
आकाश की ऊंचाइया छूते छूते,
जमीं का मूल्य भी है चुकाना,
यह मत तुम भुलाना,
देखो खो ना जाना