Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 May 2024 · 1 min read

देखा है कभी?

देखा है कभी?
दूर क्षितिज में उतरती डूबते रवि की रश्मियों को,
लगता है जैसे जिंदगी उदास हो रही हो
कोई कहीं अश्रुजल से दामन भिगो रही हो।
लगता है जैसे थके कदम ठहर गए हों,
धुंधली आँखों के पहरे फैल गए हों।

देखा है कभी?
शशि की रजत धारा में रजनी को नहाते हुए,
गगन में विरह की व्यथा में चातक को पर फैलाते हुए।
लगता है जैसे जिंदगी उजाड़ सी हो गई हो,
चैन की रैन कहीं दूर शून्य में खो गई हो।

देखा है कभी?
पूस की रात में अंबर को सिसककर रोते हुए,
ठिठुरते ठूठ पर शुष्क हिम को अपना वजूद खोते हुए।
लगता है जैसे विरह की वेदना बढ़ती जा रही हो,
और हिय की परतें मोम की मानिंद पिघलती जा रही हो।

देखा है कभी?
उष्ण ताप में किसी तपती बंजर होती जमीं को,
भाप बनकर उड़ती नभ से गिरती बूँद की नमी को।
लगता है जैसे कोई अगन तन को जला रही हो,
नीर की बूँदें भी बदन की तपन को बढा़ रही हो।
सोनू हंस

Language: Hindi
60 Views

You may also like these posts

कुंडलिया
कुंडलिया
अवध किशोर 'अवधू'
देश हमारा
देश हमारा
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
सजा मेरे हिस्से की उनको बस इतनी ही देना मेरे मौला,
सजा मेरे हिस्से की उनको बस इतनी ही देना मेरे मौला,
Vishal babu (vishu)
-शेखर सिंह
-शेखर सिंह
शेखर सिंह
आज असंवेदनाओं का संसार देखा।
आज असंवेदनाओं का संसार देखा।
Manisha Manjari
मनी प्लांट
मनी प्लांट
कार्तिक नितिन शर्मा
ऋतु बसंत
ऋतु बसंत
Karuna Goswami
नजराना
नजराना
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
पुस्तकों की पुस्तकों में सैर
पुस्तकों की पुस्तकों में सैर
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
बदल रही है ज़िंदगी
बदल रही है ज़िंदगी
Shekhar Chandra Mitra
अनुराग
अनुराग
Bodhisatva kastooriya
"जीवन का आनन्द"
Dr. Kishan tandon kranti
होली
होली
Madhuri mahakash
बिन बोले ही  प्यार में,
बिन बोले ही प्यार में,
sushil sarna
मां की आँखों में हीरे चमकते हैं,
मां की आँखों में हीरे चमकते हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
प्रकृति के आगे विज्ञान फेल
प्रकृति के आगे विज्ञान फेल
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
2996.*पूर्णिका*
2996.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
नई नई आंखे हो तो,
नई नई आंखे हो तो,
पूर्वार्थ
🙅सब एक बराबर🙅
🙅सब एक बराबर🙅
*प्रणय*
लोग मेरे इरादों को नहीं पहचान पाते।
लोग मेरे इरादों को नहीं पहचान पाते।
Ashwini sharma
क्यों बे ?
क्यों बे ?
Shekhar Deshmukh
*होली*
*होली*
Dr. Vaishali Verma
कुंडलियाँ
कुंडलियाँ
seema sharma
हॉर्न ज़रा धीरे बजा रे पगले ....देश अभी भी सोया है*
हॉर्न ज़रा धीरे बजा रे पगले ....देश अभी भी सोया है*
Atul "Krishn"
जब बातेंं कम हो जाती है अपनों की,
जब बातेंं कम हो जाती है अपनों की,
Dr. Man Mohan Krishna
आनन्द का आनंद
आनन्द का आनंद
Mahesh Tiwari 'Ayan'
मुक्तक
मुक्तक
नूरफातिमा खातून नूरी
अफ़वाह है ये शहर भर में कि हमने तुम्हें भुला रक्खा है,
अफ़वाह है ये शहर भर में कि हमने तुम्हें भुला रक्खा है,
Shikha Mishra
पंछी अकेला
पंछी अकेला
मिथलेश सिंह"मिलिंद"
मैं जब जब भी प्यार से,लेता उन्हें निहार
मैं जब जब भी प्यार से,लेता उन्हें निहार
RAMESH SHARMA
Loading...