देखभाल
मुझको धीमी आवाज़ मे
बात करता देख
तुम्हारे कान
किचन से दौड़कर
बैडरूम के दरवाजे पर आकर
ठिठके,
और दरवाजे से जा चिपके
दबाव बनने पर दरवाजा
हल्की आवाज़ के साथ खुला
अब आंखे भी फैलकर
अंदर आ गयी।
मैंने जब हाथ हिलाकर
चुप रहने का इशारा किया
तो तुम खड़ी रही।
मैंने भी अब फ़ोन रख दिया
और तुम्हारी आँखों के
उठ रहे सवालों को कहा
अरे, दोस्त का फ़ोन था।
कमबख्त गालियां दे रहा था
किसी बात पर।
तुम थोड़ा सहज तो हुई।
पर पूरी तसल्ली
के लिए तुम्हारी
खोजबीन जारी रहेगी।
घर की चीज़ों की
देखभाल मे
आज भी तुम्हारा
कोइ जवाब नही।