दृढ़विश्वास
समृद्धि एवं विकास ओर अग्रसर देश पर यह कैसा ग्रहण लग गया ?
जो एक सूक्ष्म विषाणु संक्रमण से पंगु होकर रह गया ?
किंकर्तव्यविमूढ़ शासन व्यवस्था कुछ समझ न पाई ,
अचानक आयी इस आपदा का निराकरण ढूंढ न पाई ,
संक्रमण रोकने हेतु दूरी बनाने, मास्क पहनने, संक्रमण रोधक स्वच्छता इत्यादि अनेक प्रयास जारी किए ,
परंतु फिर भी पूर्णतः संक्रमण रोकने में कारगर सिद्ध न हुए ,
संक्रमण विरुद्ध जनचेतना जागृति की अलख जगाई ,
पर जनसाधारण की अवहेलना से संक्रमण में कमी न आई ,
रोगियों की चिकित्सा के हर संभव प्रयास किए ,
परंतु संक्रमित जनों एवं मृतकों की संख्या की कमी में पूर्णतः सफल सिद्ध न हुए ,
विषाणु का तोड़ खोजने के अनथक प्रयत्न किए गए ,
परन्तु किसी ठोस निष्कर्ष पर पहुँचने में सफल न हुए ,
जनसाधारण में भय का वातावरण निर्मित हुआ ,
संक्रमण से सुरक्षा हेतु हर कोई गृह बंदी होने बाध्य हुआ ,
समय चक्र लगता था थम सा गया हो,
विभीषिका के प्रभाव से लगता था हर कोई बेबस लाचार सा हो गया हो,
परंतु चिकित्सकों एवं चिकित्सा कर्मियों की दिन रात मेहनत रंग लाई ,
संक्रमण से प्रभावित लोगों के उपचार से स्वस्थ होकर संभावित मृतक संख्या में कमी आई ,
जनचेतना जागृति संक्रमण रोकने में सहायक हुई ,
शारीरिक दूरी और संक्रमण बचाव प्रयास से संक्रमण में कमी आई ,
विषाणु संक्रमण विफल करने की वैक्सीन शोध में चिकित्सा वैज्ञानिक लगे रहे ,
शोध के सकारात्मक परिणाम भी आने लगे ,
जनसाधारण में व्याप्त भय दूर हो आपदा विरुद्ध संघर्ष का संकल्प भाव निर्मित हुआ ,
संयमित एवं संक्रमण निरापद जीवन शैली भाव विकसित हुआ ,
दृढ़विश्वास है , वह दिन दूर नहीं जब हम संघर्षरत रहकर इस महामारी पर विजय प्राप्त करके रहेंगे ,
और देश को समृद्धि और विकास के पथ पर सतत् अग्रसर करते रहेंगे ,