दृष्टिकोण
स्वरचित कविता
1. दृष्टिकोण
लंबी सड़क , सुनसान रास्ते
चल रहा एकाकी मन , आजीविका के वास्ते ।
दूर मीलों दूर, अजनबी राह पर
न कोई अपना हे, और न कोई पराया
तपती धूप , जलती सड़क
दिखता न किसी हमदर्द का साया।
वृक्ष है हरियाली है, पर पक्षी है परेशान
चिलचिलाती धूप में, प्यासे हें हैरान ।
दूर वृक्षों के झुरमुट में खेल रहें हैं बच्चे
उन्मत्त मदमस्त, लग रहे हें कितने अच्छे ।
उलझे मन में तरंग उठी, जीवन में इक उमंग उठी ।
बढ़, आगे बढ़ ज़िंदगी की रह पर
प्रति क्षण कदम भर
चलता रह जब तक है सांस
पूरी कर के अपनी आस ।
खुशी मना हो आत्म विभोर
जीवन की है लंबी डोर ।
हिम्मत हारना नहीं , धैर्य को खोना नहीं
कड़ी धूप से घबराए तुम , बच्चों को तो खबर नहीं ?
अंतर है दृष्टिकोण का –
धूप छाया का है मेल
जीवन का आकर्षक खेल ।
विनीता नरूला