दृढ़-संकल्प
मौसम प्रतिकूल न होगा,
समय के भाल पर प्रेम का कुमकुम लगाएंगे।
तैरना सीख लिया हमने,
स्तब्ध समुद्र के हृदय से मोती खोज़ लाएंगे।
ज्वलंत अभिलाषा लिए हैं,
संकटों की बेड़ियों से पथभ्रष्ट न हो पाएंगे।
सजग लिए पंख उड़े हैं,
नभ की छाती पर निशान अपना छोड़ आएंगे।
आर. एस.प्रीतम