दूर हो गए….
दूर हो गए हम क्या तुमसे तुमने हमको भुला दिया,
हँसाया था कभी अपना मान के पराया करके रुला दिया,
दर्द तुमको मिला जो हमसे ऐसी थी कुछ मजबूरियाँ,
उस वफ़ा को दगा समझ के ख़ुद से हमको जुदा किया,
सोचा था कभी मिलेंगे तुमसे अपना हमको बना ही लोगे,
एक नज़र भी देखा ना हमको बेगाना इतना बना दिया,
इन लबों को हँसी दी तुमने दिल को इतना सुकूँ दिया,
खता अब हमसे हुई क्या ऐसे नैनो मे अश्क़ को सजा दिया,
दूर हो गए हम क्या तुमसे तुमने हमको भुला दिया,
हँसाया था कभी अपना मान के पराया करके रुला दिया।
✍️वैष्णवी गुप्ता (Vaishu)
कौशाम्बी