दूर कहीं जब मीत पुकारे
दूर कहीं से मीत पुकारे
जनम जनम की प्रीत पुकरे
भीना भीना महका महका
खामोश मगर कुछ बहका बहका
साँसो का हर.गीत पुकारे
इठलाती कलियों के संग
रुनझुन करती बूँदों के संग
पाजेबी संगीत पुकारे
मार न डाले विरहन कातिल
अब तो सफर से लौट मुसाफिर
तुझको तेरा मनमीत पुकारे
(स्व रचित मौलिक रचना)
M.Tiwari”Ayan