दुश्मन बना लिया
इक शख्स को तो पा लिया मैंने
जग को दुश्मन बना लिया मैंने
उसको सर पर चढ़ा लिया मैंने
फिर नतीजा भी पा लिया मैनें
उसने कह दिया था पागल मुझे
खुद को पागल बना लिया मैंने
इस जतन से भी वह पिघला नहीं
आंख को दरिया बना लिया मैंने
रास न आए उसको यह उजाले
खूने जिगर भी जला लिया मैंने
रोज़ जीना है, रोज़ मरना है
मीठा ज़हर जो खा लिया मैंने
अब ज़मीं ओढ़कर सोया जाए
पाना था जो, वो पा लिया मैंने