दुविधा
मुक्तक
“दुविधा”
पढ़-पढ़ कर कवियों को।
इच्छा हुई मेरी की मैं भी कुछ लिखूँ।
रुक गई इस भय से की,
स्वयं का लिखा स्वयं ही ना झेल सकूँ।
स्वरचित एवं मौलिक ,
✍?कीर्ति
16.06.21
मुक्तक
“दुविधा”
पढ़-पढ़ कर कवियों को।
इच्छा हुई मेरी की मैं भी कुछ लिखूँ।
रुक गई इस भय से की,
स्वयं का लिखा स्वयं ही ना झेल सकूँ।
स्वरचित एवं मौलिक ,
✍?कीर्ति
16.06.21