Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Oct 2021 · 4 min read

दुर्गा पूजा मेले का लोकोत्सव

गांव हो या छोटा कस्वा या शहर बाजार? हर एक जगह दुर्गा पूजा का मेला लोगों के लिए उत्सव जैसा होता है. मानो लोग हर एक साल नए उमंग उत्साह के साथ दुर्गा पूजा के दिनों का इंतजार करते रहते हैं. गांव कस्बों मे तो दुर्गा पूजा मे मेले का आयोजन होता है और बच्चे, नौजवान हों या फिर बूढ़े बुजुर्ग? सभी के लिए मेला घूमना एक लोकोत्सव जैसा होता है.

मिठाई की दुकान मे रंग बिरंगी मिठाइयों की खुशबू, छोटे बड़े झूले, नाव झूला, सिहांसन झूला, नाटक नाच, तमासे खेलवाले, साज श्रृंगार , खिलौने की दुकानें, कृषि यंत्र की दुकानें, ठेले वाले, चाट पकौड़े वाले की दुकानें मानो कोलाहल करते हुए लोगों को अपने तरफ बुला रही हो. दुर्गा पूजा का मेला घूमते घूमते और उत्सव आनंद मनाते कब और कितनी बार लोग अपनी पसंदिदा दुकानों की तरफ खिंचे चले जाते हैं मानो पता हि न चलता हो. लोग मेला घूमने के उत्साह उमंग मे इस कदर डूबे रहतें हैं की इनकी बानगी देखते ही बनती है.

गुब्बारे वाले, बांसुरी वाले के बास बच्चों की उमरी भीड़ इसे ख़रीदने कि जिद्द, फिर गुब्बारे, बांसुरि वाले का अपने अंदाज मे तरह तरह के आवाज़ निकालना बच्चों को लुभाना, और गारजियन की इसे लेने से मनाही, बच्चों का रूठ जाना फिर माता पिता दुआरा रूठे बच्चों को मनाना एसा सुरीला लगता था की मेले के उत्सव, रौनक मे चार चाँद लगा देता था. खा़सकर बेहद छोटे बच्चे का अपने दादा दादी के कंधे पर बैठकर मेला घूमना बेहद आकर्षक और हर किसी को अपने बचपन की यादों मे खींच लेता था. झूले वाले के पास बच्चों नौजवान की भीड़, पहले मैं झूलूंगा की आपस मे प्यारी नोक झोंक और फिर झूले वाले का समझाना मानो किसी उत्सव से कम नहीं होता था. जमकर ठहाके लगाते, सिटीयाँ बजते और सभी का मेले मे उत्सव मनाना देखते ही बनता था.

दुर्गा पूजा पंडालों की भव्य सजावट लाइटिंग, भक्ति गीत बजते साउणड बाॅक्स दूर दूर तक उस आवाज़ की गूंज सून मानो लोग खींचे चले आते थे. पैदल, साइकल, बैलगाड़ि, मोटर गाड़ी से मानो आने जाने वालों का हुजूम सा लगा रहता था. मेले मे लोगों की भीड़ देखते ही बनति थी. दूर्गा मेले का आयोजन किसी गांव या कस्बे मे हो आस पास के लोगों मे जबरदस्त उत्साह रहता था. सभी के लिए दूर्गा मेला घूमना एक उत्सव सा होता था और लोग जमकर इसका लुफ़्त उठाते थे. यहां तक की पूजा कमेटियों के द्वारा आस पास के गांव के लोगों को मेला देखने का न्यौता भी भिजवाया जाता था और मेला घूमने के लिए आने पर सभी का स्वागत अभिनंदन जरूर किया जाता था. इस बात का भी ख्याल रखा जाता था की दूर दराज से आने वाले लोगों को किसी बात की तकलीफ़ ना हो. दुर्गा मेला मे दर्शनार्थीयों के सुस्ताने की व्यवस्था की जाति थी.

मुझे आज भी याद है की हमारे गांव मे चैत्र नवरात्रि के मेले बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है और दूर दूर के गांव कस्बों से लोग मेला देखने यहां आते थे. अष्टमी नवमी के दिन जबरदस्त भीड़ उमरती थी और लोगों का हुजूम देखते ही बनता था. एक बार के मेले मे पड़ोस के गांव के अमित सुमित नाम के दो दोस्त अपने गांव के लोगों के साथ मेला घूमने आया था और मेला घूमते घूमते कहीं धोखे से सुमित खो गया था. उसके गांव के लोग ढूंढते फिर रहे थे कभी पूजा पंडाल मे आते तो कभी मेले मे बच्चे को ढूंढते फिरते. ईधर पूजा कमेटी के लोग भी सूचना पाकर खोए बच्चे को ढूँढने मे लग गए. काफि देर के बाद एक भोलियंटर ने ख़बर दी की एक बच्चा जो़र ज़ोर से रोए जा रहा है और डर के मारे कुछ बोल नहिं पा रहा था. बड़ि मुशकिल से उसे समझा बुझाकर दुर्गा पंडाल लाया गया ये कहकर की उसके माता पिता से मिलवा दिया जाएगा. हमलोग पूजा कमिटी वाले हैं डरने की कोई बात नहीं है. लोगों की बात मानकर सुमित डरा सहमा पूजा पंडाल तक आया.

फिर सुमित के लिए जलेबी मिठाइयां खरिदी गई उसे खाने के लिए भी दिया गया पर वह अब भी सिसक सिसक के रोए जा रहा था कि अब वह अपने गांव कैसे लौटेगा. इधर मेला कमिटी के लोग लाउडिस्पिकर पर आवाज़ लगा रहे थे कि जिनका बच्चा खो गया हो या कोइ बच्चा मेले मे खो जाए तो शीघ्र पूजा पंडाल आ जाएं. लगातार ये उद्घोषणाएं हो रही थी लोगों को भी सतर्क किया जा रहा था कि कहीं कोइ बच्चा खोया हुआ दिखे तो उसे पूजा पंडाल पहुंचा दें. अचनाक अमित को लाउडिस्पिकर पर आवाज सुनाई परी और वह सुमित को ढूंढते हुए पंडाल की ओर आया. वहां पर खोजते पूछते वह पूजा पंडाल आया और सुमित को देखा तो दोनो आपस मे मिलकर खुशि से रोने लगे और फिर चुप होकर कमेटि के लोगों को अपने गांव का नाम बताया. लोगों ने आशावस्त किया की उन्हें सुबह मे उसके गांव भिजवा दिया जाएगा. खोए बच्चे मिल गए पूजा कमेटी के लोग भी काफि खुश थे. दुर्गा मेले मे खोए बच्चे को ढूँढने और उसे अपने परिवार के लोगों से मिलाने की जिम्मेदारी जैसा उत्साह मानो दुर्गा पूजा मेले के उत्सव को मानो दुगुना कर देता था.

लेखक- किशन कारीगर
(मूल नाम- डाॅ. कृष्ण कुमार राय)

(नोट- कहानी प्रतियोगिता के लिए मौलिक एवं अप्रकाशित रचना)

2 Likes · 2 Comments · 768 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr. Kishan Karigar
View all
You may also like:
🌹थम जा जिन्दगी🌹
🌹थम जा जिन्दगी🌹
Dr Shweta sood
थक गये चौकीदार
थक गये चौकीदार
Shyamsingh Lodhi (Tejpuriya)
लेखनी को श्रृंगार शालीनता ,मधुर्यता और शिष्टाचार से संवारा ज
लेखनी को श्रृंगार शालीनता ,मधुर्यता और शिष्टाचार से संवारा ज
DrLakshman Jha Parimal
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
श्रेष्ठ भावना
श्रेष्ठ भावना
Raju Gajbhiye
हमनें अपना
हमनें अपना
Dr fauzia Naseem shad
सज़ल
सज़ल
Mahendra Narayan
ମାଟିରେ କିଛି ନାହିଁ
ମାଟିରେ କିଛି ନାହିଁ
Otteri Selvakumar
*वकीलों की वकीलगिरी*
*वकीलों की वकीलगिरी*
Dushyant Kumar
कृष्ण सा हैं प्रेम मेरा
कृष्ण सा हैं प्रेम मेरा
The_dk_poetry
दानवीरता की मिशाल : नगरमाता बिन्नीबाई सोनकर
दानवीरता की मिशाल : नगरमाता बिन्नीबाई सोनकर
Dr. Pradeep Kumar Sharma
रोशन
रोशन
अंजनीत निज्जर
उस दिन पर लानत भेजता  हूं,
उस दिन पर लानत भेजता हूं,
Vishal babu (vishu)
मैंने तो बस उसे याद किया,
मैंने तो बस उसे याद किया,
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
"फितरत"
Dr. Kishan tandon kranti
मेला एक आस दिलों🫀का🏇👭
मेला एक आस दिलों🫀का🏇👭
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
#अजब_गज़ब
#अजब_गज़ब
*Author प्रणय प्रभात*
समस्या का समाधान
समस्या का समाधान
Paras Nath Jha
वीर तुम बढ़े चलो...
वीर तुम बढ़े चलो...
आर एस आघात
मैं बारिश में तर था
मैं बारिश में तर था
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
2393.पूर्णिका
2393.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
चुनाव
चुनाव
Lakhan Yadav
रमेशराज के 'नव कुंडलिया 'राज' छंद' में 7 बालगीत
रमेशराज के 'नव कुंडलिया 'राज' छंद' में 7 बालगीत
कवि रमेशराज
गिरता है गुलमोहर ख्वाबों में
गिरता है गुलमोहर ख्वाबों में
शेखर सिंह
मैं क्या लिखूँ
मैं क्या लिखूँ
Aman Sinha
सदा खुश रहो ये दुआ है मेरी
सदा खुश रहो ये दुआ है मेरी
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
इश्क- इबादत
इश्क- इबादत
Sandeep Pande
आज भी मुझे मेरा गांव याद आता है
आज भी मुझे मेरा गांव याद आता है
Praveen Sain
सितमज़रीफी किस्मत की
सितमज़रीफी किस्मत की
Shweta Soni
प्रिय मैं अंजन नैन लगाऊँ।
प्रिय मैं अंजन नैन लगाऊँ।
Anil Mishra Prahari
Loading...