Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Aug 2023 · 2 min read

“ दुमका संस्मरण ” ( विजली ) (1958)

डॉ लक्ष्मण झा” परिमल ”
==================
पर्वतों से घिरा हमारा दुमका प्रारंभ में प्रकाश से बँचित रहा ! याद है मुझे जब 1958 में मैंने नगरपालिका के डांगालपाड़ा ( हटिया स्कूल ) प्राथमिक स्कूल में पहली क्लास में प्रवेश लिया तो विजली कहीं नहीं थी ! दुमका बाजार के हरेक दुकानों में सिर्फ शाम 6 बजे से 9 बजे तक ही विजली की जरूरत होती थी ! मुख्य दुकानों में जनरेटर का कनेक्शन लिया गया था ! एक आना एक बल्ब जलाने के लिए दिये जाते थे ! उनदिनों दुमका में एक ही “ज्ञानदा सिनेमा हॉल” था ! वहाँ पर भी जनरेटर चलाए जाते थे ! ऊँच्च पधाधिकारियों के दफ्तर में हाथ वाले पंखा डोलाया जाता था ! दूर एक चपरासी एक लम्बी डोर को खींचता रहता था और छत पर टंगा एक विशाल पंखा हिलता रहता था ! पर एक बात तो थी कि दुमका जंगलों से घिरा था और यहाँ की हवा में ठंठक रहती थी ! मौसम सुहाना लगता था ! शाम होते- होते चिडिओं की चहचाहट की आवाजें और आदिवासी महिलाओं के मधुर गीतों से सारा प्राकृतिक झूम उठता था ! कहीं शोर नहीं और ना प्रदूषण था !
हरेक मुहल्ले में नगरपालिका की ओर से एक पेट्रोमेक्स जलाए जाते थे ! और उसे लकड़ी के पोल पर लटकाए जाते थे ! शुक्ल पक्ष में यह नहीं जलाए जाते थे ! सिर्फ दो घंटे अँधेरीया रात में ही जलाए जाते थे ! लोगों के घर डिबिया ,दीपक और लालटर्न ही जलाते थे ! संध्याकाल में सब के सब अपने हमउम्र वालों के साथ मिलते , खेलते ,गाते और मौज मानते थे ! बड़े बुजुर्ग खगोलीय ज्ञान देते! रात में दिशा का ज्ञान देते थे और तारों की परिभाषा और उनके नामों को बताते थे !
हम नगर के तमाम लोगों को जानते और पहचानते थे ! डाकिया अपने क्षेत्र के लोगों का नाम जानते थे ! भूले हुये अतिथिओं को उनके मंज़िल तक बच्चे -बच्चे तक पहुँचा देते थे !
आज दुमका विजिलिओं से जगमगा रहा है ! हम प्रगति के शिखर पर पहुँचते जा रहे हैं पर अपनों से दूर होते जा रहे हैं !
=================
डॉ लक्ष्मण झा” परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
डॉक्टर’स लेन
दुमका
झारखण्ड
07.08.2023

Language: Hindi
231 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
घर से निकले जो मंज़िल की ओर बढ़ चले हैं,
घर से निकले जो मंज़िल की ओर बढ़ चले हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
🙅जय जय🙅
🙅जय जय🙅
*प्रणय*
अभी मेरी बरबादियों का दौर है
अभी मेरी बरबादियों का दौर है
पूर्वार्थ
तेरे संग एक प्याला चाय की जुस्तजू रखता था
तेरे संग एक प्याला चाय की जुस्तजू रखता था
VINOD CHAUHAN
* जिन्दगी में *
* जिन्दगी में *
surenderpal vaidya
यार ब - नाम - अय्यार
यार ब - नाम - अय्यार
Ramswaroop Dinkar
बदल गया परिवार की,
बदल गया परिवार की,
sushil sarna
सत्य की खोज
सत्य की खोज
Surya Barman
चाय की प्याली!
चाय की प्याली!
कविता झा ‘गीत’
*
*"मुस्कराहट"*
Shashi kala vyas
: बूँद की यात्रा
: बूँद की यात्रा
मधुसूदन गौतम
बाल कविता: मोर
बाल कविता: मोर
Rajesh Kumar Arjun
आधुनिक युग और नशा
आधुनिक युग और नशा
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
देखते देखते मंज़र बदल गया
देखते देखते मंज़र बदल गया
Atul "Krishn"
मिसरे जो मशहूर हो गये- राना लिधौरी
मिसरे जो मशहूर हो गये- राना लिधौरी
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
हम दुनिया के सभी मच्छरों को तो नहीं मार सकते है तो क्यों न ह
हम दुनिया के सभी मच्छरों को तो नहीं मार सकते है तो क्यों न ह
Rj Anand Prajapati
इश्क़
इश्क़
हिमांशु Kulshrestha
जीवन यात्रा
जीवन यात्रा
विजय कुमार अग्रवाल
खोदकर इक शहर देखो लाश जंगल की मिलेगी
खोदकर इक शहर देखो लाश जंगल की मिलेगी
Johnny Ahmed 'क़ैस'
3305.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3305.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
धवल बर्फ की झीनी चादर पर
धवल बर्फ की झीनी चादर पर
Manisha Manjari
"सर्व धर्म समभाव"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
तुम वह सितारा थे!
तुम वह सितारा थे!
Harminder Kaur
अगर जल रही है उस तरफ
अगर जल रही है उस तरफ
gurudeenverma198
खूबसूरती एक खूबसूरत एहसास
खूबसूरती एक खूबसूरत एहसास
Dr fauzia Naseem shad
मातु शारदे वंदना
मातु शारदे वंदना
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
अन्याय करने से ज्यादा बुरा है अन्याय सहना
अन्याय करने से ज्यादा बुरा है अन्याय सहना
Sonam Puneet Dubey
"गीत"
Dr. Kishan tandon kranti
जीवन
जीवन
पंकज परिंदा
गरीबों की जिंदगी
गरीबों की जिंदगी
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
Loading...