Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Aug 2020 · 2 min read

दुनिया में भारत जैंसा कोई देश नहीं

आज हम सभी अपना 74 वा स्वतंत्रता दिवस मना रहे हैं। सभी को बहुत-बहुत हार्दिक बधाई आज शहीदों को नमन करने का दिन है, उन वीरों के श्री चरणों में कोटि-कोटि प्रणाम। आज का दिन हमें उन महावीरों के सपनों की याद भी दिलाता है, जो उनने स्वतंत्र भारत के लिए देखे थे, तो उत्तर बहुतायत हां मैं ही होगा, इन 74 वर्षों में हमारे देश ने बहुत क्षेत्रों में प्रगति हासिल की है। एक समय था जब हमारे नागरिकों को दो वक्त का भोजन भी नसीब नहीं था। आज पूरे देश में खाद्य सुरक्षा कानून लागू है, अब कोई भूखा रहे ऐसी संभावना नहीं रही। एक समय कपड़े भी नहीं हुआ करते थे, अब वैंसा नहीं दिखता। अब बात घरों की करें तो सरकार ने संकल्प लिया है कि 2022 तक सभी बेघरों को घर भी उपलब्ध करवा दिया जाएगा। अब बात गरीबी की कर लेते हैं, तो आज जो व्यक्ति काम धंधा कर रहा है, कुछ न कुछ काम कर रहा है, वह इतना गरीब और मजबूर नहीं रहा।
शासन द्वारा गरीब कल्याण की कई योजनाएं चला रहा हैं। अब बात कर ली जाए सामाजिक सुरक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य की तो आज स्कूल की भी कोई कमी नहीं रही, कमजोर वर्ग को उच्च शिक्षा तक छात्रवृत्ति की व्यवस्था है। स्वास्थ्य सेवा में भी सुधार हुआ है अभी और बेहतर करने की आवश्यकता है। आयुष्मान योजना बहुत बड़ी योजना है, शायद दुनिया के नामचीन देशों में भी ऐंसी योजना नहीं है, कि बिना पैसे के सरकार ₹500000 तक इलाज कराए। सामाजिक बुराइयां भी बहुत हद तक दूर हुई हैं। छुआछूत की बड़ी समस्या बहुत हद तक दूर हो चुकी है, भेदभाव समाप्त हो रहा है। सभी जमाने को देख कर चलने लगे हैं। गांव गांव में शौचालयों की व्यवस्था हो गई है। आज देश ज्ञान विज्ञान कल कारखाने सुरक्षा की दृष्टि से विश्व के विकसित देशों की कतार में खड़ा है। दिनों दिन प्रगति के पथ पर अग्रसर है।
जब हमने आज प्रगति की बात की है तो हमें अपनी कमजोरियों की बात भी अवश्य करना चाहिए। समतामूलक समाज में धर्म जाति समाज अंचल भाषा पर किसी प्रकार का भेदभाव नहीं होना चाहिए और कहना अतिशयोक्ति भी नहीं, कि समाज या नागरिकों के स्तर पर देखा जाए तो भेदभाव है भी नहीं। हां राजनेता अपने स्वार्थ में बोट बैंक बनाने के चक्कर में भेदभाव पैदा करते हैं, तुष्टीकरण करते हैं, जो उन्हें नहीं करना चाहिए इस मामले में हम नागरिकों को ही जागरूक होना पड़ेगा, हम अपनी और देश की प्रगति के लिए इन क्षुद्र मुद्दों से सावधान रहें, तो हम और भी प्रगति कर सकते हैं। अंत में मैं यही कह सकता हूं कि इतनी आजादी सुंदर खाना-पीना जलवायु रहन-सहन तीज त्योहार मेले विविधता बाला और दुनिया में दूसरा देश नहीं है।
जय हिंद जय भारत

सुरेश कुमार चतुर्वेदी

Language: Hindi
Tag: लेख
11 Likes · 2 Comments · 250 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from सुरेश कुमार चतुर्वेदी
View all
You may also like:
छह दिसबंर / मुसाफ़िर बैठा
छह दिसबंर / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
फितरत
फितरत
Dr fauzia Naseem shad
तुम न समझ पाओगे .....
तुम न समझ पाओगे .....
sushil sarna
दिल जीतने की कोशिश
दिल जीतने की कोशिश
Surinder blackpen
जब प्यार है
जब प्यार है
surenderpal vaidya
मिसाल (कविता)
मिसाल (कविता)
Kanchan Khanna
मन को जो भी जीत सकेंगे
मन को जो भी जीत सकेंगे
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
दुनिया तभी खूबसूरत लग सकती है
दुनिया तभी खूबसूरत लग सकती है
ruby kumari
क्या क्या बताए कितने सितम किए तुमने
क्या क्या बताए कितने सितम किए तुमने
Kumar lalit
■ एक विचार-
■ एक विचार-
*Author प्रणय प्रभात*
"इंसान"
Dr. Kishan tandon kranti
श्री श्याम भजन 【लैला को भूल जाएंगे】
श्री श्याम भजन 【लैला को भूल जाएंगे】
Khaimsingh Saini
कोई पढे या ना पढे मैं तो लिखता जाऊँगा  !
कोई पढे या ना पढे मैं तो लिखता जाऊँगा !
DrLakshman Jha Parimal
बचपन मेरा..!
बचपन मेरा..!
भवेश
सांसों के सितार पर
सांसों के सितार पर
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
कुछ लोग
कुछ लोग
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
खूब रोता मन
खूब रोता मन
Dr. Sunita Singh
क्या बोलूं
क्या बोलूं
Dr.Priya Soni Khare
दिल हो काबू में....😂
दिल हो काबू में....😂
Jitendra Chhonkar
दोहा
दोहा
दुष्यन्त 'बाबा'
*चुनावी कुंडलिया*
*चुनावी कुंडलिया*
Ravi Prakash
2983.*पूर्णिका*
2983.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
जिन्होंने भारत को लूटा फैलाकर जाल
जिन्होंने भारत को लूटा फैलाकर जाल
Rakesh Panwar
How to say!
How to say!
Bidyadhar Mantry
जब होंगे हम जुदा तो
जब होंगे हम जुदा तो
gurudeenverma198
जूते व जूती की महिमा (हास्य व्यंग)
जूते व जूती की महिमा (हास्य व्यंग)
Ram Krishan Rastogi
'व्यथित मानवता'
'व्यथित मानवता'
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
जिस्म से जान जैसे जुदा हो रही है...
जिस्म से जान जैसे जुदा हो रही है...
Sunil Suman
साँप और इंसान
साँप और इंसान
Prakash Chandra
बदी करने वाले भी
बदी करने वाले भी
Satish Srijan
Loading...