दुनिया में भारत जैंसा कोई देश नहीं
आज हम सभी अपना 74 वा स्वतंत्रता दिवस मना रहे हैं। सभी को बहुत-बहुत हार्दिक बधाई आज शहीदों को नमन करने का दिन है, उन वीरों के श्री चरणों में कोटि-कोटि प्रणाम। आज का दिन हमें उन महावीरों के सपनों की याद भी दिलाता है, जो उनने स्वतंत्र भारत के लिए देखे थे, तो उत्तर बहुतायत हां मैं ही होगा, इन 74 वर्षों में हमारे देश ने बहुत क्षेत्रों में प्रगति हासिल की है। एक समय था जब हमारे नागरिकों को दो वक्त का भोजन भी नसीब नहीं था। आज पूरे देश में खाद्य सुरक्षा कानून लागू है, अब कोई भूखा रहे ऐसी संभावना नहीं रही। एक समय कपड़े भी नहीं हुआ करते थे, अब वैंसा नहीं दिखता। अब बात घरों की करें तो सरकार ने संकल्प लिया है कि 2022 तक सभी बेघरों को घर भी उपलब्ध करवा दिया जाएगा। अब बात गरीबी की कर लेते हैं, तो आज जो व्यक्ति काम धंधा कर रहा है, कुछ न कुछ काम कर रहा है, वह इतना गरीब और मजबूर नहीं रहा।
शासन द्वारा गरीब कल्याण की कई योजनाएं चला रहा हैं। अब बात कर ली जाए सामाजिक सुरक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य की तो आज स्कूल की भी कोई कमी नहीं रही, कमजोर वर्ग को उच्च शिक्षा तक छात्रवृत्ति की व्यवस्था है। स्वास्थ्य सेवा में भी सुधार हुआ है अभी और बेहतर करने की आवश्यकता है। आयुष्मान योजना बहुत बड़ी योजना है, शायद दुनिया के नामचीन देशों में भी ऐंसी योजना नहीं है, कि बिना पैसे के सरकार ₹500000 तक इलाज कराए। सामाजिक बुराइयां भी बहुत हद तक दूर हुई हैं। छुआछूत की बड़ी समस्या बहुत हद तक दूर हो चुकी है, भेदभाव समाप्त हो रहा है। सभी जमाने को देख कर चलने लगे हैं। गांव गांव में शौचालयों की व्यवस्था हो गई है। आज देश ज्ञान विज्ञान कल कारखाने सुरक्षा की दृष्टि से विश्व के विकसित देशों की कतार में खड़ा है। दिनों दिन प्रगति के पथ पर अग्रसर है।
जब हमने आज प्रगति की बात की है तो हमें अपनी कमजोरियों की बात भी अवश्य करना चाहिए। समतामूलक समाज में धर्म जाति समाज अंचल भाषा पर किसी प्रकार का भेदभाव नहीं होना चाहिए और कहना अतिशयोक्ति भी नहीं, कि समाज या नागरिकों के स्तर पर देखा जाए तो भेदभाव है भी नहीं। हां राजनेता अपने स्वार्थ में बोट बैंक बनाने के चक्कर में भेदभाव पैदा करते हैं, तुष्टीकरण करते हैं, जो उन्हें नहीं करना चाहिए इस मामले में हम नागरिकों को ही जागरूक होना पड़ेगा, हम अपनी और देश की प्रगति के लिए इन क्षुद्र मुद्दों से सावधान रहें, तो हम और भी प्रगति कर सकते हैं। अंत में मैं यही कह सकता हूं कि इतनी आजादी सुंदर खाना-पीना जलवायु रहन-सहन तीज त्योहार मेले विविधता बाला और दुनिया में दूसरा देश नहीं है।
जय हिंद जय भारत
सुरेश कुमार चतुर्वेदी