दुनिया में अब वो लोग निराले नहीं रहे।
हर सम्त तीरगी है उजाले नहीं रहे।
अम्न ओ अमाँ के चाहने वाले नहीं रहे।
हर शख़्स आज शोला बयानी पे है तुला।
कह तो दिया ज़बानों पे ताले नहीं रहे।
मज़हब था जिन का इश्क़ मुहब्बत थी बन्दगी।
दुनिया में अब वो लोग निराले नहीं रहे।
इस बात पर अमीरों की लेकिन नज़र नहीं।
मुफ़लिस के पास अब तो निवाले नहीं रहे।
तहक़ीर मुफ़्लिसों की जो करते थे रोज़ ओ शब।
अच्छा हुआ कि ऐसे रज़ाले नहीं रहे।
जब ये गिला था पाओं में छाले हैं ऐ ‘क़मर’।
अब ये गिला है पाओं के छाले नहीं रहे।