दुनियां बताए अपने गम __ कविता
एक संकट जाता नहीं दूसरा सामने आ जाता है।
होता जो गरीब सुखचैन से रोटी कहां खा पाता है।।
समस्याएं कितनी होती है साथ उसके वही जाने।
जमाने भर को बताने में भी वह कितना शर्माता है।।
देखी है खासियत हमने उसकी दिल से समझी है।
अपने भीतर छुपे ईमान को कभी नहीं गंवाता है।।
जब जितना मिल जाए उसी में ढूंढता रहे खुशियां।
अपनी खुशियों में सबको सम्मिलित करना चाहता है।।
दुनिया बताए अपने गम गरीब के नहीं होते हैं कम।
दम अपना लगा कर उसे उनसे बाहर आना आता है।।
राजेश व्यास अनुनय