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22 May 2021 · 1 min read

दुनियाँ लगा के दांव पे, उनकी खुशी चले!

दुनियाँ लगा के दांव पे, उनकी खुशी चले!
जो चाल वो चल सो, निहायत बुरी चले!

वो भूल ये गये थे, कि वो भी जहाँ में हैं,
घर में लगा के आग, कराने हंसी चले!

आस्तीन का वो सांप है, जिसकी वजह से हम,
अंतिम सफ़र में साथ भी, प्रिय के नहीं चले!

दुनियाँ से गम के बादल, छट जायें कर दुआ,
फिर हम सभी हॅंसने, व हॅंसाने कहीं चलें!

दुनियाँ में आये लौट के, प्रेमी वही खुशी,
जन्नत जहाँ को फिर से, बनाने सभी चलें!

…… ✍ प्रेमी

2 Comments · 393 Views
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