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2 Apr 2022 · 1 min read

दुनियाँ घूमी जाती है Vinit Singh Shayar

आना नहीं था फिर क्यूँ यूँ ही आती है
कुछ तरह से भी वो प्यार जताती है

हम को देख के कमरे में वो चली गई
सामने फिर झुमके में वापस आती है

हमको मजनू बोल बोल के चिढ़ा रही है
ना जाने सखियों को क्या बताती है

रहते हैं खामोश वैसे तो महफ़िल में
वरना मेरी ग़ज़लों पर झूमीं जाती है

ज़ालिम दुनियाँ वालों से छुप छुपकर
हर रात उनकी फोटो चूमी जाती है

सामने सबके हाथ पकड़ के चलती है
ना जाने इतना हिम्मत कैसे लाती है

उनसे मिलने जाए इतनी हिम्मत नहीं
सपनों में ही दुनियाँ घूमी जाती है

हम ने मैय्यत समझ के जो इग्नोर किया
सामने जब देखा तो वो बाराती है

~विनीत सिंह

Vinit Singh Shayar

1 Like · 140 Views
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