— दुनिआ क्या चाहती है —
दुनिआ क्या चाहती है..आज तक समझ नहीं आया
न किसी को जीने देती, न ही किसी को मरने देती
हर वक्त इक जलन सी रखती है दिल के अंदर
जैसे पता नहीं उस का क्या कोई छीन लाया
अपने राज कभी किसी को बताती नहीं
दूसरे के घर का पूछने से कतराती नहीं
किसी की ख़ुशी में दिमाग से शामिल होती है
जैसे वो खुशीआं उस के धन से खरीद है लाया
सब के सामने आ जाया करते हैं ऐसे ऐसे किस्से
शायद अब बन गए हैं जीवन के हिस्से
इस चीज से तो कभी निजात नहीं मिलेगी
न जाने ऐसा सब के मान में क्यूँ है आया
अजीत कुमार तलवार
मेरठ