दुखों से समझौता करलो
दुखों से समझौता कर लो ,तभी दुख सह सकोगे तुम ।
जो समझौता ना कर पाए न जीवित रह सकोगे तुम।
यह धीमी हवाएं भी बन जाती हैं आंधी।
तूफान यूं ही कर देता है कहने को बर्बादी।
बस्ती तो बसानी हैतूफान के बाद भी ।
सब कुछ ना भुला पाए होगा कुछ याद भी।
फिर भी इन यादों को कह ना सकोगे तुम।
दुखो समझौता कर लो तभी दुख सह सकोगे तुम ।
माना कि चढ़ता है हर सुबह गर्म सूरज ।
मत भूलो सांझ को भी जिस में छुप जाता है सूरज ।
कहने को गम सारे आती है निशा लेकर।
पर इंतजार के बाद जाती है विभा देकर ।
बिना रजनी दिवाकर के फेरों के रह ना सकोगे तुम।
दुखों से समझौता कर लो तब ही दुख से है सकोगे तुम ।
धूप -छांव ,सुख -दुख हैं दोनों आते हैं बारी -. बारी।
दुख में रोना शुरू करो सुख में रखो हंसना जारी ।
तभी बनोगे तुम सच्चे नर तन के अधिकारी ।
देवो ने ग्रन्थों में आखिर बात यही स्वीकारी ।
इसी नियम को मानो रेखा पीछे ना रह सकोगे तुम ।
दुखों से समझौता कर लो तभी दुख सह सकोगे तुम।