दुखी आंखें
कितनी असहाय होती हैं दुखी आंखें,
भीड़ में सन्नाटे सी होती हैं दुखी आंखें,
शोर लिए खामोश होती हैं दुखी आंखें
सागर जितना दुखी होती हैं दुखी आंखें
अकेले में सोया या रोया करती हैं दुखी आंखें,
रात से भोर तक खुदको समझाती दुखी आंखें,
सपनों में ख्यालात बुनती रहती हैं दुखी आंखें,
दिन के उजाले से बहुत हैं घबराती दुखी आंखें।