Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Nov 2023 · 3 min read

दीवाली

दीवाली
कोमल के पिता आज बहुत परेशान थे क्योंकि आज ही उन्हें पता चला था कि कुछ ही दिनों बाद दीवाली का त्यौहार आने वाला है और अब उन्हें भी ये चिंता सताने लगी थी कि हाथ में पैसे तो हैं नहीं दीवाली मनाने के लिए खर्चों का इंतजाम कैसे करेंगे। जब उनकी लाडली बच्ची दूसरे बच्चों को नए कपड़े पहनते और पटाखे फोड़ते देखेगी तो उसका भी तो मन करेगा, जब दूसरों को मिठाई खाते देखेगी तो उसका भी जी ललचाएगा और मन ही मन वो अपने पिता और उनकी गरीबी पर रोएगी। आज उन्हें अपनी मिल मजदूर की नौकरी जिससे अब तक उनका घर चलता आया था वो काम छोटा लग रहा था।
इसी तरह सोचते सोचते अपनी साइकिल को हाथ में थामे आज वो पैदल ही घर आ गए थे और उन्हें ऐसे पैदल चलकर आते देखकर कोमल की मां को चिंता हुई, उन्होंने पूछा…. क्यों जी आज पैदल ही आए साइकिल खराब हो गई क्या। कोमल के पिता….नहीं आज ऐसे ही पैदल चलने को मन हुआ तो आ गया। कोमल की मां को बड़ा अजीब सा लगा कि दिन भर की काफी मेहनत के बाद भी कोई इंसान भला पैदल चलना क्यों चाहेगा।
दूसरे दिन काम पर जाते वक्त कोमल के पिता अपनी पत्नी को बोल गए कि आज से वो दोनों शिफ्ट पर काम करेंगे, इस पर जब उसने कहा कि ऐसे में आराम कब करोगे तो उन्होंने मिल में काम ज्यादा होने का बहाना बना दिया, लेकिन कोमल की मां समझ गई की ये सब सामने आ रही दीवाली के इंतजाम के लिए है, सबकुछ जानकर भी वो कुछ बोल नहीं पाई क्योंकि अपने परिवार की तंगहाली से वो भी वाकिफ थी।
अब दीवाली त्योहार आने तक कोमल के पिता ने जी तोड़ मेहनत की और दीवाली के इंतजाम के लिए रात दिन एक कर दिया, कुछ दिन बाद आखिर त्यौहार का दिन आ गया और आज काफी दिनों के बाद कोमल के पिता घर में थे। दीवाली मना रहे बच्चों को देखकर दोनों पति पत्नी बहुत खुश हो रहे थे, कोमल की मां बोली…… सुनो जी अब तो दीवाली मन गई अब आप एक ही शिफ्ट में काम करना हम जैसे तैसे गुजारा कर लेंगे लेकिन ऐसे रात दिन काम करने से आपकी तबियत खराब हो गई तो हमारा क्या होगा जरा सोचिए।
अपनी पत्नी के इस सवाल पर मुस्कुरा कर जवाब देते हुए कोमल के पिता अपनी पत्नी से….जरा देखो कोमल कितनी खुश है अपने दोस्तों के साथ कैसे खुश होकर फुलझड़ी और अनार जला रही है, नए कपड़ों में कितनी सुंदर लग रही है मेरी बच्ची उसकी खुशी देखकर ही मेरी दीवाली पूरी हो गई, मैं अपनी गरीबी के कारण उसकी खुशियां छीनना नहीं चाहता था।
अपने पति के मुंह से ये शब्द सुनकर उसकी पत्नी भी मुस्कुराकर कभी अपने पति को तो कभी दीवाली मना रही अपनी बेटी कोमल को देखती और मन ही मन प्रार्थना करती कि हे लक्ष्मी माता हम गरीबों पर भी कृपा करना, ज्यादा नहीं तो बस इतनी कृपा करना की हमारा जीवन सुखमय बीते और किसी चीज के लिए हमें दूसरों का मुंह ताकना या मन मारना न पड़े।
काश समृद्ध एवं सम्पन्न वर्ग के लोग इनके जैसे गरीबों और निर्धनों को कुछ सहायता करें तो इन बेचारों को जान हथेली में रखकर रात दिन काम करने पर मजबूर नहीं होना पड़ता और ये भी खुशियों भरी दीवाली मना पाते।
©✍️ मुकेश कुमार सोनकर, रायपुर छत्तीसगढ़

1 Like · 169 Views

You may also like these posts

मौसम बरसात की
मौसम बरसात की
जय लगन कुमार हैप्पी
सीमजी प्रोडक्शंस की फिल्म ‘राजा सलहेस’ मैथिली सिनेमा की दूसरी सबसे सफल फिल्मों में से एक मानी जा रही है.
सीमजी प्रोडक्शंस की फिल्म ‘राजा सलहेस’ मैथिली सिनेमा की दूसरी सबसे सफल फिल्मों में से एक मानी जा रही है.
श्रीहर्ष आचार्य
चाहिए
चाहिए
Punam Pande
■ आज का दोहा
■ आज का दोहा
*प्रणय*
“लिखें तो लिखें क्या ?”–व्यंग रचना
“लिखें तो लिखें क्या ?”–व्यंग रचना
Dr Mukesh 'Aseemit'
मैं चुप रही ....
मैं चुप रही ....
sushil sarna
*मोती (बाल कविता)*
*मोती (बाल कविता)*
Ravi Prakash
आपकी याद जब नहीं है तो क्यूं,
आपकी याद जब नहीं है तो क्यूं,
Dr fauzia Naseem shad
डर
डर
अखिलेश 'अखिल'
गर्मी बहुत पड़ी है तो जाड़े भी आएगें
गर्मी बहुत पड़ी है तो जाड़े भी आएगें
Dr. Sunita Singh
दोहे
दोहे
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
सुबह सुबह उठ कर उनींदी आँखों से अपने माथे की बिंदी को अपने प
सुबह सुबह उठ कर उनींदी आँखों से अपने माथे की बिंदी को अपने प
पूर्वार्थ
शीर्षक – मां
शीर्षक – मां
Sonam Puneet Dubey
ये ऊँचे-ऊँचे पर्वत शिखरें,
ये ऊँचे-ऊँचे पर्वत शिखरें,
Buddha Prakash
बुढ़ापा भी गजब हैं
बुढ़ापा भी गजब हैं
Umender kumar
राम
राम
Madhuri mahakash
Environment
Environment
Neelam Sharma
मत कहना ...
मत कहना ...
SURYA PRAKASH SHARMA
Sharing the blanket
Sharing the blanket
Deep Shikha
वटसावित्री
वटसावित्री
Rambali Mishra
हारे मत ना हौसलों,
हारे मत ना हौसलों,
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
साँझ का बटोही
साँझ का बटोही
आशा शैली
मेला दिलों ❤️ का
मेला दिलों ❤️ का
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
इतनी वफ़ादारी ना कर किसी से मदहोश होकर,
इतनी वफ़ादारी ना कर किसी से मदहोश होकर,
शेखर सिंह
4000.💐 *पूर्णिका* 💐
4000.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
Sp55 वतन पे मिटना/ जिंदगी की परिधि
Sp55 वतन पे मिटना/ जिंदगी की परिधि
Manoj Shrivastava
ମଣିଷ ଠାରୁ ଅଧିକ
ମଣିଷ ଠାରୁ ଅଧିକ
Otteri Selvakumar
" क्यों "
Dr. Kishan tandon kranti
तप रही जमीन और
तप रही जमीन और
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
नशा
नशा
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
Loading...