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29 May 2024 · 1 min read

दीवाना हूँ प्रेम गीत गाता हूँ

मन के भावों को ,शब्दों में सजाता हूँ
कवि हूँ ,गागर में सागर समाता हूँ

उड़ता हूँ ,कल्पना के अंबर में ऊंचा
परिंदा हूँ ,परों के हौसले आजमाता हूँ

इश्क है शमा से, इस तरह बेपनाह
परवाना हूँ ,फानूस से बार बार टकराता हूँ

ये चमन ये बहार , इस कदर लुभाते है
भौंरा हूँ ,कली-कली पे मंडराता हूँ

मचल उठता है, दिल मेरा रह रहकर
मैं तो दीवाना हूँ , प्रेम गीत गाता हूँ

©ठाकुर प्रतापसिंह “राणाजी”
सनावद (मध्यप्रदेश )

Language: Hindi
22 Views
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