दीया
मैं नन्हा सा दीया हूँ
जलता रहूँगा द्वार पर,
आप अंधकार को दो चुनौती
मेरे ऐतबार पर।
साथ न देगा कभी
सूरज अँधेरी रात में,
चाँद भी जा बैठा है
आज अमावस के हाथ में।
फिर भी जगमगाएगा
घर-अँगना-चौबारा तेरा,
न मैं सूरज न चँद्रमा
मैं हूँ नन्हा दीप सितारा तेरा।
अँधेरों के सभी छल
आज हो बेकार जाएंगे,
दिवाली के दीयों से
घनेरे तम जंग हार जाएंगे।
अपनी लौ को प्रचंड कर के
अंधकार निगलता रहेगा,
आज सारी रात दीये का
यह संघर्ष चलता रहेगा।