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8 Apr 2024 · 1 min read

“दीया और तूफान”

“दीया और तूफान”
दीये नहीं ये दिल जले हैं
तूफानों के सिलसिले चले हैं
फिजाओं में कालिमा छाने लगी
चिरागों के सिलसिले चले हैं
वो दीये भी डरे क्यों ‘किशन’
जो सदा तूफानों के बीच पले हैं।

3 Likes · 3 Comments · 89 Views
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