दीप यादों के जलाना छोड़ दे
जख़्म दिल के तू दिखाना छोड़ दे
फिर हंसेंगे सब बताना छोड़ दे
??
चैन फुर्क़त में न पाएगा कभी
दिल हसीनों से लगाना छोड़ दे
??
खार बन कर के चुभेंगे दिल में ये
फूलों को अब आजमाना छोड़ दे
??
मिट न पाये तीरगी दिल की सनम
दीप यादों के—– जलाना छोड़ दे
??
तोड़ना दिल है हसीनों का शग़ल
जानो दिल इन पर लुटाना छोड़ दे
??
आरज़ू पूरी न हो “प्रीतम” तेरी
पत्थरों से दिल लगाना छोड़ दे
?
प्रीतम राठौर भिनगाई
श्रावस्ती (उ०प्र०)