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20 Oct 2020 · 1 min read

दीप ज्योत

दीप ज्योत

कह दो अंधेरों से कहीं और जा बसे
यहाँ तो रोशनी का सैलाब आया है
हर खिड़की चौखट पर जलता चिराग
मोहब्बत का पैग़ाम लाया है

नफ़रतों को जला,अंधकार मिटा
आएगा उज्जवल सुनहरा कल
बुझने न देना उम्मीदों का दीया
साहस व संयम रखना हर पल

दीपक है येआशा का ज्ञान का
आलोकित करता गहन तम
प्रतीक है हर्ष का उल्लास का
कहता साथ हैं तो फिर क्या ग़म

झिलमिला रहा हर झरोखे से
जग अग्रसर प्रकाश की ओर
कारी निशा का गमन हो रहा
थामे रखना नई सुबह की डोर

रेखा

Language: Hindi
2 Comments · 387 Views

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