Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Nov 2021 · 2 min read

दीपोत्सव

कमला बिमला सरला सब कामकाजी महिला है, उनकी निरीक्षक कलावती ने शनिवार को एक एक सरसों के तेल की बोतल वा दीपक भेंट किया,

कमला, बिमला, सरला को सरकार से किसी तरह की मदद नहीं मिल रही थी,
उनके मन में संशय पैदा हो गया,

क्योंकि वे तो घर में शनिवार के दिन न तो सरसों का तेल , न ही नमक तक लेकर आती है.
यहाँ तक संध्या काल में भी ये सामान खरीदा करती थी,

एकाध बार हिम्मत भी करके देखी,
तो किसी न किसी घटना से सह-सामंजस्य बिठा लेती थी,

इन्होंने ऐसा समय भी देखा था,
आंच एक दूसरे के घर लेकर चूल्हे जलाये हैं
दियासलाई तक न रहती थी घर में.
इन सब चीजों को विराम देते हुए,
उन्होंने दीपोत्सव मनाया,

दीपोत्सव एक धार्मिक उत्सव,
कब आरंभ हुआ होगा.
इसे आजतक क्यों ढोहे जा रहा है.
जब देश अशिक्षा, बेरोजगार, संपदा, संपत्ति से जूझ रहा है.
खुद का उत्पादन कुछ है नहीं,
सभी चीजें, विदेशी कंपनियों के हिसाब से ढाला जा रहा है.

अगली समस्या सुबह की रसोई के तड़के की परेशानी खड़ी हो गई.
खैर,
वही चटनी रोटी छाछ प्याज आलू टमाटर से पेट भरने के सिलसिले चलते रहे,
जलाने का तेल
खाने का तेल
निकाल रहा हो जैसे तेल.

पेट भरने के लिए, जो कामकाजी महिलाऐं
पेट भरे या दीपोत्सव बनाए.
मंहगाई का रसोई पर अतिरिक्त भार कमला, बिमला, सरला को व्यथित किए हुए है,
वोट
चुनाव
पार्टियां
विचारधारा से ज्यादा.

धर्म को सबसे बड़ा खतरा पैदा हो चुका है
लोग सुबह उठते ही, पेट्रोल,डीजल,गैस,रोजगार,आटे, दाल की चिंता में डूब जाते हैं, वे धर्म पर ध्यान ही नहीं दे रहे है.

वो आदमी महत्वपूर्ण है, जो उन्हें सहयोग करता है. वो कहे, वही होता है.
बूथ को मजबूत करने का सिलसिला चल रहा.
दीपोत्सव खुद खूब शर्मिंदा है.

जीवन मूल्यों के स्तर गिरने लगे हैं,
वोट बिकने लगे हैं.
शराब बांटकर,, शराबी बना रहे है.
धर्म के नाम पर,,, धार्मिक रंग जमा रहे हैं
बोलो जय श्रीराम
जैसे चिढा रहे हैं.
वंदेमातरम को वंदन नहीं.
थोप रहे है.
नंगा के धोवै, के निचोडें.

लोग इस क्षेत्र में शुद्ध मुनाफे खोज कर
पैसा शेयर मार्केट की तरह लगा रहे हैं.

2 Likes · 2 Comments · 296 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
नारी क्या है
नारी क्या है
Ram Krishan Rastogi
मैं बारिश में तर था
मैं बारिश में तर था
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
Patience and determination, like a rock, is the key to their hearts' lock.
Patience and determination, like a rock, is the key to their hearts' lock.
Manisha Manjari
"फोटोग्राफी"
Dr. Kishan tandon kranti
*अज्ञानी की कलम*
*अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी
यह आत्मा ही है जो अस्तित्व और ज्ञान का अनुभव करती है ना कि श
यह आत्मा ही है जो अस्तित्व और ज्ञान का अनुभव करती है ना कि श
Ms.Ankit Halke jha
कहमुकरी
कहमुकरी
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
अंदाज़े बयाँ
अंदाज़े बयाँ
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
उसे गवा दिया है
उसे गवा दिया है
Awneesh kumar
पंचतत्वों (अग्नि, वायु, जल, पृथ्वी, आकाश) के अलावा केवल
पंचतत्वों (अग्नि, वायु, जल, पृथ्वी, आकाश) के अलावा केवल "हृद
Radhakishan R. Mundhra
माँ की यादें
माँ की यादें
मनोज कर्ण
आत्मीय मुलाकात -
आत्मीय मुलाकात -
Seema gupta,Alwar
दवा की तलाश में रहा दुआ को छोड़कर,
दवा की तलाश में रहा दुआ को छोड़कर,
Vishal babu (vishu)
आदित्य(सूरज)!
आदित्य(सूरज)!
Abhinay Krishna Prajapati-.-(kavyash)
तुम्हारी खूब़सूरती क़ी दिन रात तारीफ क़रता हूं मैं....
तुम्हारी खूब़सूरती क़ी दिन रात तारीफ क़रता हूं मैं....
Swara Kumari arya
आ गया मौसम सुहाना
आ गया मौसम सुहाना
Dr. Rajendra Singh 'Rahi'
'Memories some sweet and some sour..'
'Memories some sweet and some sour..'
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
अन्ना जी के प्रोडक्ट्स की चर्चा,अब हो रही है गली-गली
अन्ना जी के प्रोडक्ट्स की चर्चा,अब हो रही है गली-गली
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
पहाड़ में गर्मी नहीं लगती घाम बहुत लगता है।
पहाड़ में गर्मी नहीं लगती घाम बहुत लगता है।
Brijpal Singh
"बेखुदी "
Pushpraj Anant
*
*"ब्रम्हचारिणी माँ"*
Shashi kala vyas
स्वभाव
स्वभाव
अखिलेश 'अखिल'
डोसा सब को भा रहा , चटनी-साँभर खूब (कुंडलिया)
डोसा सब को भा रहा , चटनी-साँभर खूब (कुंडलिया)
Ravi Prakash
अंतिम युग कलियुग मानो, इसमें अँधकार चरम पर होगा।
अंतिम युग कलियुग मानो, इसमें अँधकार चरम पर होगा।
आर.एस. 'प्रीतम'
माटी
माटी
AMRESH KUMAR VERMA
हवा चली है ज़ोर-ज़ोर से
हवा चली है ज़ोर-ज़ोर से
Vedha Singh
जीवन को अतीत से समझना चाहिए , लेकिन भविष्य को जीना चाहिए ❤️
जीवन को अतीत से समझना चाहिए , लेकिन भविष्य को जीना चाहिए ❤️
Rohit yadav
हो भविष्य में जो होना हो, डर की डर से क्यूं ही डरूं मैं।
हो भविष्य में जो होना हो, डर की डर से क्यूं ही डरूं मैं।
Sanjay ' शून्य'
जिंदगी का सफर
जिंदगी का सफर
Gurdeep Saggu
■ कटाक्ष...
■ कटाक्ष...
*Author प्रणय प्रभात*
Loading...