दीपक राग
“दीपक”
01. आरती थाल
जीवन चक्र राग
दीप आलाप
02. रे ! लौ संताप
सृजन का आलाप
दीपक राग ।
03. जलता दिया
बुलंद हैं हौंसले
तन सहमा ।
04. दीये जलाती
माचिस की तिलियाँ
कभी घर भी ।
05. दीप से मिला
प्रेम की पराकाष्ठा
जला पतंगा ।
06. दीप जो जला
अज्ञान का अंधेरा
भाग निकला ।
07. साहसी दीप
लड़े अंधकार से
पर आदमी ।
08. दीपक जला
पर वह तो स्वयं
तम में पला ।
09. बत्ती जलती
मोम सह न सका
पिघल पड़ा ।
10. दीप जलता
हृदय में उसके
प्रेम पलता ।
11. दीप निर्मम
प्रेम करने वाले
जले पतंग ।
12. छोटा दीपक
तिमिर हरण का
बने द्योतक ।
13. दीपक जला
रोशन कर चला
जग समूचा ।
14. अंधेरी रात
एक दीप बता दे
उसे औकात ।
15. राह दिखाता
हथेली में सूरज
बन के दीया ।
16. दीया तो नहीं
सदियों से जलते
तेल व बाती ।
17. राह दिखाता
जगमग करता
नन्हां सा दीया ।
18. दीप से दीप
मिल कर मनाते
ज्ञान उत्सव ।
19. ज्योत से ज्योत
जलता जला दीया
बनी मालिका ।
20. दीप निर्मम
मिलन के बहाने
जले पतंग ।
21. दीया व बाती
अंधेरे से लड़ने
बनते साथी ।
22. प्रीत पुरानी
दीया और बाती की
कथा कहानी ।
23. निशा घनेरी
पर दीपक की लौ
चीर डालती ।
24. दीप सम्मुख
थकी, हारी व झुकी
निविड़ निशा ।
25. शब्दों के दीप
सुर की बातियों से
बने संगीत ।
26. जलता रहा
रात भर दीपक
सिसक रहा ।
27. कहता दीप
आनंद है अमृत
वेदना विष ।
28. मोम न बनो
पिघल ही जाओगे
इस दीप से ।
29. जल दीपक
अज्ञानता चीरते
बुझना मत ।
30. बूढ़ा दीपक
रात भर जागता
दिन में सोया ।
31. पर्व मनाएँ
शुभकामनाओं के
दीप जलाएँ ।
32. दीप जलाएँ
तम को पी जाने का
हूनर सीखें ।
33. दीये तो नहीं
सदियों से जलते
घी और रुई ।
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□ प्रदीप कुमार दाश “दीपक”
मो.नं. 7828104111