दीपक दिल की कालिमा मिटा दो।
खुशी से जगमग हो जीवन
दीप पंक्तियां दमके चमके
स्निग्ध तेल हो मन मे सबके
दयाभाव हो हममे सब मे
जगमग करदे नगर डगर मे
दिल तक कालिमा मिटा दे
आंख खुले हो दूर अंधेरा
उजाला हो सभी पहर मे
बाती सा मिल दीप सा जले
अपने लक्ष्य चुने और चले
लडना है इक बडी शक्ति से
उमंग हो हरएक लहर मे
दिये बाती का मिलन प्रेम से
जीते तम को बन प्रकाश से
विन्ध्य बनेगा इंद्रधनुष से
मन प्रमुदित हो दीपपर्व मे।
विन्ध्य प्रकाश मिश्र विप्र