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19 Apr 2022 · 1 min read

दीदी की खुशी

संस्मरण
दीदी की खुशी
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१६ मार्च”२२ को सामयिक परिवेश के वार्षिक आयोजन में शामिल होने के लिए १५ मार्च’ २२ को ही पटना पहुंच गया था।
१६ को आयोजन स्थल पर बैनर पर डा.मीना कुमारी परिहार जी का चित्र देखा, तो ये विश्वास हो चला कि उनको तो आना ही होगा।
खैर! थोड़ी देर में उनका आगमन हुआ, मैंने आगे बढ़कर उनके पैर छूए तो सिर हाथ रखकर आशीर्वाद दिया और गले लगा कर पीठ थपथपाया, अपने पास बैठा कर हाल चाल पूछा।
मुझे सामने देख वे इतना खुश हुईं कि वर्णन करना मुश्किल है। उनके अनुसार उन्हें तो विश्वास ही नहीं हो रहा कि आनलाइन माध्यमों से कई बार एक दूसरे से रुबरु होने वाले छोटे भाई से मुलाकात यहां होगी।
मैं भी बहुत खुश था, क्योंकि यह अप्रत्याशित मिलन था। दीदी से मिलना क्या हुआ, जैसे वहां जाना सफल हो गया। क्योंकि कई लोगों से उन्होंने छोटे भाई के रूप में मेरा परिचय ही नहीं कराया, बल्कि मेरे लेखन की सबसे तारीफ की। जो मेरे लिए गर्व की बात है।
वैसे तो हम दोनों आभासी पटलों पर मिलते रहते हैं और बहुत बार बातें भी होती रहती हैं। मगर वास्तविक रुप से यूं अचानक मिलना और उनकी प्रसन्नता मेरे लिए किसी सम्मान से कम नहीं है। ऐसी बड़ी बहन का आशीर्वाद साक्षात रूप में पाना पटना यात्रा को अविस्मरणीय बना गया।
ऐसी बड़ी दीदी को बार बार नमन, चरणस्पर्श करता हूं और सदैव आशीर्वाद का आकांक्षी भी हूं।

सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा उत्तर प्रदेश
८११५२८५९२१
© मौलिक, स्वरचित

Language: Hindi
1 Like · 142 Views

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