दीदार
कब होगा तेरा दीदार मोहन उमरिया मोरी बीत रही है,
मोरी उमरिया बीत रही है उमरिया आधी हो गई फिर कैसे आऊंगी तेरे द्वार मोहन, मैं कैसे आऊंगी तेरे द्वार मोहन ,
जब घुटनों में मेरे जाना होगी तो कैसे आऊंगी मैं मोहन धाम तेरे,
कब होगा तेरा दीदार मोहन उमरिया मोरी बीती रही जब आंखों से मैं कमजोर हूं कि दिखेगा ना सामने तू मोहन तो कौन सी आंखों से तुझे देखूंगी।
मन की आंखें खोल तुझे मैं देख लूंगी तेरी सुंदर छवि को झांक लूंगी।
हर तरह से तुम्हारी हूं मैं कान्हा ,तुम मानो या ना मानो
तेरी चरणों से तेरी चरणों में निकलेगा दम तुम मानो ना मानो, हम तेरे हैं तेरे ही रहेंगे तुम मानो ना मानो, पर तुम कब आओगे मोहन उमरिया मोरी बीत रही
एक बार तो दया की नजर कर, दो कब तेरा दीदार होगा मोहन।
मैं दर-दर ठोकर खा रही हूं बस एक तेरे तुझे आते मैं निहार रही हूं ,
आंखों की ज्योति धीरे-धीरे जा रहे हैं कब तेरा दीदार होगा मोहन उमरिया मोरी बीत रही है।
✍️वंदना ठाकुर ✍️