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13 Jun 2021 · 1 min read

दीदार चाँद का…

दीदार चाँद का…

रात जब ढलने लगी, दीदार हुआ चाँद का
साँस जब थमने लगी, दीदार हुआ चाँद का

यूँ तो गम पहले से ही, कम न थे जिंदगी में
ये दिल भी अब मेरा, बीमार हुआ चाँद का

निर्जला ही बैठी रही, मैं तो उसकी राह में
न जानूँ कहाँ रोज़ा, इफ़्तार हुआ चाँद का

सबका मन बहलाकर, मेरी गली वो आया
मुरझाया-मुरझाया, रुख़्सार हुआ चाँद का

नख सा लघ्वाकार था, देखा उसे जब मैंने
रफ़्ता-रफ़्ता इतना, विस्तार हुआ चाँद का

चाह कर भी मैं उससे, तन्हा मिल न पाऊँ
सदा सितारों से लदा, दरबार हुआ चाँद का

कर रहा है पैरवी, देखो तो उसकी ओर से
आसमां भी आज तो, मुख़्तार हुआ चाँद का

रूपमुग्धा मैं बनी, सुध-बुध निज बिसराई
मन- उदधि में मेरे, अवतार हुआ चाँद का

चित्रलिखित-सी इकटक, निहारा करें उसे
कितना आँखों को, इंतजार हुआ चाँद का

रात पूनम की आई, छिटकी हर सूं चाँदनी
मिलीं सोलह कलाएँ, श्रंगार हुआ चाँद का
-डॉ.सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद
“मृगतृषा” से

Language: Hindi
5 Likes · 4 Comments · 377 Views
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